सच से दूर भागते हैँ हम ,
झूठ के पास जाते हैं हम।
झूठ बोलकर इतराते हैं हम,
सच बोलकर घबराते हैं हम।
हम सच से क्यों डरते हैं,
झूठ पर क्यों मरते हैं।
हर जीत सच्चाई से मिलती है,
ये पता होने के बावजूद झूठ को नहीं तजते हैं हम।
सच बोलकर नोट पर छप गए बापू,
झूठ बोलकर जेल गए ढोंगी साधू।
फिर भी सच से दूर भागते हैं हम,
झूठ का दामन ही थामते हैं हम।
Advertisements